tag:blogger.com,1999:blog-77800293971488331282024-03-13T22:36:26.206+05:30वैदिक स्तोत्र और आरती संग्रहThis blog contains hindu vedic stotras and hymns from ancient scriptures.Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-79128657309874368702018-11-15T20:19:00.001+05:302018-11-16T15:09:33.581+05:30भवानी शक्ति स्तोत्र
शिव और शक्ति को अभेद्य नहीं किया जा सकता, शिव के बिना शक्ति के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती उसी प्रकार शक्ति की कल्पना शिव के बिना नहीं नही की जा सकती, यह बात ठीक है की शक्ति के बिना शिव भी शव के समान है और शिव का अर्थ अर्ध नारीश्वर स्वरुप भी शिव और शक्ति का संयुक्त स्वरुप है, इसी प्रकार शिवलिंग में वेदी अर्थात बाण और लिंग शिव और शक्ति का स्वरुप है, देवों के देव महादेव है तो जगत की समस्त Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-36013814158687414622018-10-25T15:47:00.003+05:302018-10-25T15:49:01.567+05:30श्री गणेश स्त्रोत्रम
दिवस का प्रारंभ गुरु पूजन और गणपति पूजन से होना चाहिए, विध्नविनाशक गणपति को देवताओं का अधिपति एवं प्रथम पूज्य माना जाता है, जिन्होंने भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा कर संसार में आदर्श स्थापित किया, उन गणेश का ध्यान, वंदन जीवन में निरन्तर कल्याण कारी होता है,जिन के बारे में यह कहा जाता है की -
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा |
संग्रामे संकटे चैव विघ्नतस्य न जायते |Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-30862942321517950972018-10-23T16:48:00.001+05:302018-10-23T16:48:31.749+05:30श्री लक्ष्मीसूक्तम्
पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥
पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे।
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥
पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्।
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥
धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुVikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-59129688824629872572018-10-22T14:30:00.002+05:302018-10-22T14:33:10.151+05:30श्रीलक्ष्मी कवच
|| सर्व -सिद्धि -समृद्धि -दायक ||
श्री लक्ष्मी कवच
ध्यान - कन्त्या काञ्चन -सन्निभां हिम-गिरी-प्रख्यैश्चतुरभिर्गजै:,
हस्तोत्क्षिप्त-हिरण्यामृत-घटै राषिञ्चयामानां श्रियम |
बिभ्राणां वरमब्ज-युग्मभयं हस्तैः किरीटोज्ज्वलाम,
Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-40016083867101892772018-10-21T13:04:00.002+05:302018-10-21T14:45:50.927+05:30गुर्वष्टकम (गुरु अष्टकम)
श्री सद्गुरुवे नमः
शरीरं सुरूपं तथा वा कलत्रं यशश्चारु चित्रं धनं मेरूतुल्यम |
गुरोरङिंध्रपदमे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किं ||
कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्वं गृहं बान्धवाः सर्वमितादि जातम |
गुरोरङिंध्रपदमे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किं ||
षडंगादि वेदो मुखे शास्त्रविद्या कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति |
Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-40197970158214147482017-09-05T20:06:00.001+05:302017-09-05T20:06:25.046+05:30मारुति स्तोत्र
भीमरूपी महारुद्रा वज्र हनुमान मारुती ।
वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ॥१॥
महाबळी प्राणदाता सकळां उठवी बळें ।
सौख्यकारी दुःखहारी धूर्त वैष्णव गायका ॥२॥
दीननाथा हरीरूपा सुंदरा जगदंतरा ।
पातालदेवताहंता भव्यसिंदूरलेपना ॥३॥
लोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परितोषका ॥४॥
ध्वजांगें उचली बाहो आवेशें लोटला पुढें ।
काळाग्नि काळरुद्राग्नि देखतां कांपती भयें ॥५॥Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-49258932250850702422011-11-18T20:34:00.001+05:302011-11-19T20:51:26.690+05:30कनकधारा स्तोत्र
अंग हरे पुलकभूषणमाश्रयंती , भृंगागनेव मुकुलाभरणं तमालम |
अंगीकृताखिलविभूतिर पांग लीला, मांगल्यदास्तु मम मंगदेवताया || १ ||
मुग्धा मुहुर्विदधाति वदने मुरारेः , प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि |
माला दुशोर्मधुकरीय महोत्पले या, सा में श्रियं दिशतु सागरसंभवायाः || २ ||
Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-65260707660615899672011-11-01T19:27:00.000+05:302011-10-30T19:30:40.225+05:30महालक्ष्मी अष्टकम ( महालक्ष्म्यष्टकं )
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते |
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
नमस्ते गरुडारुढे कोलासूरभयंकरी |
सर्वपापहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरी |
सर्वदुःखहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते ||Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-50165146091128882802011-10-29T15:45:00.002+05:302011-10-29T16:05:55.361+05:30शिव आरती
कर्पूरगौरं करूणावतारम , संसारसारं भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि ||
जय शिव ओमकारा, भज शिव ओमकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव , अर्व्दांगी धारा ||
&Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-82840818969292698532011-10-27T20:57:00.000+05:302011-10-29T15:52:00.270+05:30महा लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैय्या जय लक्ष्मी माता ,
तुम को निस दिन सेवत, हर विष्णु धाता |
ॐ जय लक्ष्मी माता ||
उमा रमा Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-60578216053659940552011-07-01T22:23:00.000+05:302011-10-29T15:49:44.193+05:30दुर्गा आरती - ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय अम्बे गौरी |
तुमको निसदिन ध्यावत, हरी ब्रह्मा शिवरी ||
ॐ जय अम्बे गौरी ...
मांग सिन्दूर विराजत तीको मृद मदको |
उज्वल से दो नैना, चन्द्र वदन नीको ||
Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-397795910838960332011-06-25T18:32:00.000+05:302011-06-25T18:33:27.010+05:30संकट नाशन गणेश स्तोत्रप्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्रं विनायकं |भक्तावासं स्मरेन्नित्य-मायुः कामार्थ सिद्धये || 1 ||
प्रथमं वक्रतुंडम च एकदंतं व्दितीयकम |
तृतीयं कृष्ण - पिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम || 2 ||
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च |
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टकम || 3 ||
नवमं &Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-86458146281426612622011-02-12T20:36:00.000+05:302011-02-12T20:55:37.592+05:30शिव सिद्धि सर्व रक्षाकारक प्रासाद कवच
विनियोग: ॐ अस्य श्रीसदा -शिव -प्रासाद -मन्त्र -कवचस्य श्रीवामदेव ऋषिः , पंक्ति छंद, श्रीसदा-शिव देवता, अभीष्ट -सिद्ध्यर्थे पाठे विनियोगः |
ऋषादि न्यास: श्रीवामदेव -ऋषये नमः शिरसी | पंक्तिश्छंद से नमः मुखे | श्रीसदा -शिव -देवतायै नमः&Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-32106981550322987922011-02-05T19:33:00.000+05:302011-02-05T19:39:26.149+05:30शिव पंचाक्षर स्तुतिनागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय, भस्मांगरागाय महेश्वराय |
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै 'न' काराय नमः शिवाय ||१||
मन्दाकिनी सलिलचन्दनचर्चिताय ,नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय |
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय ,तस्मै 'म' काराय नमः शिवाय ||२ ||
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द ,सूर्याय Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-6026804323299004152011-02-01T16:51:00.000+05:302011-10-29T16:11:29.403+05:30आरती कुंज बिहारी की .. श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी कि
आरती कुंज बिहारी की |
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की |
गले मे बैजंती माला |
बजावै मुरली मधुर बाला |
श्रवण में कुंडल झलकाला |
नन्द के आनंदनन्दलाला |
गगन सम अंग कान्तिकाली |
राधिका Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7780029397148833128.post-58030753192098912312011-01-29T20:04:00.000+05:302011-01-29T20:04:53.201+05:30आद्या काली स्तोत्रत्रिलोक्य विजयस्थ कवचस्य शिव ऋषि , अनुष्टुप छन्दः, आद्य काली देवता, माया बीजं, रमा कीलकम , काम्य सिद्धि विनियोगः || १ ||
ह्रीं आद्य मे शिरः पातु श्रीं काली वदन ममं, हृदयं क्रीं परा शक्तिः पायात कंठं परात्परा ||२||
नेत्रौ पातु Vikramhttp://www.blogger.com/profile/04778775507951515622noreply@blogger.com1