मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

आरती कुंज बिहारी की .. श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी कि

आरती कुंज बिहारी की |
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की |

गले मे बैजंती माला  |
      बजावै मुरली मधुर बाला |  

श्रवण में कुंडल झलकाला |
नन्द के आनंदनन्दलाला  |

गगन सम अंग कान्तिकाली |
     राधिका चमक रही आली |

लतन में ठाढे बनमाली |
भ्रमर सी अलक |

कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक  |
ललित छबि  श्यामा  प्यारी  की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

कनकमय मोर  मुकुट बिलसे  |
देवता  दरसन  को  तरसै  |

गगनसों  सुमन रासी  बरसे  |
बजै मुरचंग |

मधुर मिरदंग ग्वालानी संग  |
अतुल रति गोप कुमारी की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

जहां ते प्रकट भई गंगा  |
सकल मल हारिणी श्रीगंगा  |

स्मरण ते होत मोह भंगा |
बसी शिव सीस जटा  के बीच  |

हरै अध् कीच | 
चरण छवि श्री बनवारी  की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

चमकती उज्जवल तटरेनु    |
बज रही वृन्दावन बेनु |

चहूंदिसि  गोपी ग्वाल धेनु |
हसत मृदुमंद चांदनी चंढ   |

कटत भव  फंद  |
पीर सुन  दीन  दुखारी की  |

आरती कुंज बिहारी  की  |
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी  कि  |

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