शनिवार, 25 जून 2011

संकट नाशन गणेश स्तोत्र

प्रणम्य शिरसा देवं  गौरी  पुत्रं  विनायकं |
भक्तावासं  स्मरेन्नित्य-मायुः  कामार्थ  सिद्धये  || 1 ||

प्रथमं  वक्रतुंडम  च एकदंतं  व्दितीयकम |
तृतीयं कृष्ण - पिंगाक्षं  गजवक्त्रं  चतुर्थकम  || 2 ||

लम्बोदरं पंचमं च  षष्ठं  विकटमेव  च  |
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं  धूम्रवर्णं  तथाष्टकम  || 3 ||

नवमं  भलाचंद्रम  च  दशमं  तु  विनायकं |
एकादशं  गणपति व्दादशम  तु  गजाननं || 4 ||

व्दाद -शैतानी  नामानी  त्रिसंध्यं  यः  पठैन्नरः   |
न  च  विघ्नभयं  तस्य  सर्वसिद्धिकरं   परम  || 5 ||

विद्यार्थी लभते  विद्यां धनार्थी  लभते  धनम  |
पुत्रार्थी  लभते  पुत्रान  मोक्षार्थी  लभते  गतिम्  || 6 ||

जपेद  गणपति-स्तोत्रं  षड्भिर्मासै:   फलं  लभेत |
संवत्सरेण  सिद्धिं च लभते  नात्र  संशयः || 7 ||

अष्ठभ्यो  ब्राह्मनेभ्यश्च लिखित्वा  यः  समर्पयेत |
तस्य  विद्या भवेत् सर्व गणेशस्य प्रसादतः || 8 ||

| इति  श्री नारद  पुराने संकट नाशनं गणेश स्तोत्रं  सम्पूर्णं  |

To read in English click here. 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें