शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

शिव सिद्धि सर्व रक्षाकारक प्रासाद कवच


विनियोग: ॐ अस्य श्रीसदा -शिव -प्रासाद -मन्त्र -कवचस्य  श्रीवामदेव  ऋषिः , पंक्ति छंद, श्रीसदा-शिव  देवता, अभीष्ट -सिद्ध्यर्थे  पाठे  विनियोगः  |

ऋषादि  न्यास: श्रीवामदेव -ऋषये  नमः शिरसी | पंक्तिश्छंद से नमः मुखे  | श्रीसदा -शिव -देवतायै  नमः  ह्रदि | अभीष्ट -सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगाय नमः  सर्वांगे |

ॐ  शिरो  मे  सर्वदा  पातु  प्रासादाख्यः  सदा-शिवः  |
षडक्षर-स्वरूपो  मे , वदनं  तु  महेश्वरः || १ ||

अष्टाक्षरः  शक्ति -रूद्रश्चक्षुषी   मे  सदावतु  |
पंचाक्षरात्मा भगवान् भुजौ मे  परी-रक्षतु  || २ ||

मृत्युन्जयस्त्रि  -बीजात्मा , आयु रक्षतु मे सदा  |
वट-मूल - समासीनो , दक्षिणा -मूर्त्तिरव्ययः     || ३ ||

सदा मां  सर्वतः पातु , षट  -त्रिंशार्ण - स्वरुप -धृक  |
द्वा -विंशार्णात्मको  रुद्रः, कुक्षी मे  परी-रक्षतु  || ४ ||

त्रि - वर्णात्म  नील - कंठः , कंठं  रक्षतु  सर्वदा  |
चिंता -मणिर्बीज-रूपो, अर्द्व -नारीश्वरो  हरः  || ५ ||

सदा रक्षतु मे गुह्यं, सर्व - सम्पत -प्रदायकः  |
एकाक्षर -स्वरूपात्मा , कूट - रुपी  महेश्वरः  || ६ ||

मार्तंड -भैरवो  नित्यं, पादौ मे  परी-रक्षतु  |
तुम्बुराख्यो  महा-बीज-स्वरूपस्त्रीपुरान्तकः     || ७ ||

सदा मां रण-भूमौ  च, रक्षतु त्रि-दशाधिपः |
उर्ध्व -मूर्द्वानमीशानो, मां रक्षतु सर्वदा  || ८ ||

दक्षिणास्यां   तत्पुरुषोsव्यान्मे  गिरी-विनायकः |
अघोराख्यो  महा-देवः, पूर्वस्यां परी-रक्षतु  || ९ ||

वामदेवः पश्विमस्यां, सदा मे परी-रक्षतु |
उत्तरस्यां  सदा पातु, सद्योजात-स्वरुप-धृक || १० ||

To read in English click here. 

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

शिव पंचाक्षर स्तुति

नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय, 
भस्मांगरागाय  महेश्वराय | 

नित्याय  शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै   'न'   काराय  नमः शिवाय  ||१||

मन्दाकिनी  सलिलचन्दनचर्चिताय ,
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय |

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय ,
तस्मै 'म' काराय  नमः  शिवाय  ||२ ||

शिवाय  गौरीवदनाब्जवृन्द ,
सूर्याय दक्षध्वरनाशकाय |

श्रीनीलकंठाय    वृष ध्वजाय,
तस्मै  'शि' काराय  नमः  शिवाय  || ३ ||

वशिष्ठकुम्भोदभवतौतमार्य ,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय  |

चंद्रार्कवैश्वानरलोचनाय ,
तस्मै  'व्'  काराय  नमः  शिवाय  || ४ ||

यक्षस्वरूपाय जटाधराय ,
पिनाकहस्ताय सनातनाय |

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै  'य' काराय  नमः  शिवाय  || ५ ||

 To read in English click here. 

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

आरती कुंज बिहारी की .. श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी कि

आरती कुंज बिहारी की |
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की |

गले मे बैजंती माला  |
      बजावै मुरली मधुर बाला |  

श्रवण में कुंडल झलकाला |
नन्द के आनंदनन्दलाला  |

गगन सम अंग कान्तिकाली |
     राधिका चमक रही आली |

लतन में ठाढे बनमाली |
भ्रमर सी अलक |

कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक  |
ललित छबि  श्यामा  प्यारी  की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

कनकमय मोर  मुकुट बिलसे  |
देवता  दरसन  को  तरसै  |

गगनसों  सुमन रासी  बरसे  |
बजै मुरचंग |

मधुर मिरदंग ग्वालानी संग  |
अतुल रति गोप कुमारी की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

जहां ते प्रकट भई गंगा  |
सकल मल हारिणी श्रीगंगा  |

स्मरण ते होत मोह भंगा |
बसी शिव सीस जटा  के बीच  |

हरै अध् कीच | 
चरण छवि श्री बनवारी  की  |

श्री  गिरिधर  कृष्ण  मुरारी  की, आरती  कुंज  बिहारी  की  |

चमकती उज्जवल तटरेनु    |
बज रही वृन्दावन बेनु |

चहूंदिसि  गोपी ग्वाल धेनु |
हसत मृदुमंद चांदनी चंढ   |

कटत भव  फंद  |
पीर सुन  दीन  दुखारी की  |

आरती कुंज बिहारी  की  |
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी  कि  |

To read it in English click here.